Original AI Prompt
Generate & Play Hailuo AI video:[Truck right,Pan left,Tracking shot]मैंने लिखा था तेरा नाम रेत पर, पर लहरों ने धो दिया… शायद जैसे तूने मेरे जज़्बातों को, खामोशी से खो दिया। तू आई थी ज़िंदगी में बहार बनकर, फूलों सी महकी थी हर सुबह, पर आज सब वीरान सा लगता है, तेरे बिना कुछ भी नहीं रहा। तेरी हँसी थी मेरी राहत, तेरी बातों में था सुकून, अब जब तू नहीं है पास मेरे, तो हर पल है अधूरा, हर रात है जुनून। तेरी यादें करती हैं सवाल, क्या मैं इतना भी नहीं था ख़ास? या मेरा प्यार था बेवकूफ़ी, जो तुझसे करता रहा हर बात। तू कहती थी, “हमेशा साथ रहेंगे,” फिर क्यों आज तेरे रास्ते जुदा हैं? तेरे बिना ये दिल हर रोज़ टूटता है, तेरे बिना ये आँखें हर रात रोती हैं। मैंने तुझे उस वक़्त चाहा, जब मुझे खुद से भी उम्मीद न थी, तेरे लिए लड़ा दुनिया से, पर तूने ही मुझे छोड़ दिया भीड़ में कहीं। वो पार्क की वो पहली मुलाकात, वो कॉफी की प्याली, वो बारिश की बात, वो सब अब एक ख़्वाब बन गया है, जो हर रात मेरी नींदें चुराता है। तू थी तो ज़िंदगी आसान थी, अब हर साँस बोझ सी लगती है। तेरे बिना सब अधूरा है, मुस्कुराहट भी अब झूठ सी लगती है। काश तुझसे न मिला होता, या मिलकर खोया न होता। अब तो बस तन्हाई है साथी, और हर रोज़ का दर्द मेरी कहानी। तेरे बिना जो रास्ते हैं, वो सूने हैं, अंधेरे हैं। तेरी यादें हैं रोशनी, पर वो भी अब थकी सी लगती हैं। मैंने तुझसे सिर्फ प्यार माँगा था, न दौलत, न शोहरत, न नाम। पर तुझे तो चाहिए थी दुनिया, और मैंने दी सिर्फ एक जान। अब बैठा हूँ उसी स्टेशन पर, जहाँ तुझे आखिरी बार देखा था, तेरी ट्रेन निकल चुकी है, और मैं अब भी इंतज़ार में हूँ — बेवजह। क्या तुझे याद भी आता होगा, वो लड़का जो तुझे बेइंतहा चाहता था? जिसकी आँखों में सिर्फ तेरा नाम था, जिसका सपना बस तेरा साथ था? अब मैं लिखता हूँ कविताएं, तेरे नाम पर, तेरे जाने पर, तू पढ़ती भी होगी शायद, या फिर जैसे मेरी तरह तू भी भूल गई सब। मैंने तुझसे कुछ नहीं माँगा, बस तेरा वक़्त, तेरी मुस्कान, पर तूने तो उन लम्हों को भी, किसी और के नाम कर दिया। अब जब तू नहीं है, मैं ज़िंदा तो हूँ, पर जीना क्या होता है, ये भूल गया हूँ।
AI-Powered Analysis
A young couple's emotional farewell at a train station, reflecting on their past and the pain of separation.